Thursday, 27 July 2017

DUA AND AHDEESH RELATED TO MONSOON- तेज़ बारिश आंधी तूफ़ान के वक़्त की दुआ -BAARISH KI DUA- HINDI-ENGLISH

                      بسم الله الرحمان الرحیم 


Barish ki Dua – Dua for Rain –

Barish rokne ki Dua


In this post, you can read Dua for rain 
(Barish ke liye dua), Dua when it rains (Barish ki dua) and Dua to Stop Rain (barish rokne ki dua

Dua for Rain in Arabic :

اللّهُمَّ اَسْقِـنا غَيْـثاً مُغيـثاً مَريئاً مُريـعاً، نافِعـاً غَيْـرَ ضَّارٌ، عاجِـلاً غَـيْرَ آجِلٍ

Barish ke liye dua in Urdu :

اے اللہ! ہمیں ایسی بارش سے سیراب کر جو فائدہ مند ،سر سبز و شاداب ، نفع بخش ، نقصان نہ دینے والی اور جلد برسنے والی ہو

Dua for Rain in English :

O Allah, shower upon us abundant rain, beneficial not harmful, swiftly and not delayed.

Barish ke liye dua in Arabic :

Allaahumma ‘asqinaa ghaythan mugheethan maree’an maree’an, naafi’an ghayradhaarrin, ‘aajilan ghayra ‘aajilin.


Dua when it rains in Arabic:

اللّهُمَّ صَيِّـباً نافِـعاً

Barish ki dua in Urdu :

اے اللہ! اسے نفع بخش بارش بنادے

Dua when it rains in English :

O Allah, (bring) beneficial rain clouds.

Barish ki dua in Arabic :

Allaahumma sayyiban naafi’an.

Dua to Stop Rain in Arabic :

اللّهُمَّ حَوالَيْنا وَلا عَلَيْـنا، اللّهُمَّ عَلى الآكـامِ وَالظِّـراب، وَبُطـونِ الأوْدِية، وَمَنـابِتِ الشَّجـر

Barish rokne ki dua :

Allaahumma hawaalaynaa wa laa ‘alaynaa. Allaahumma ‘alal-‘aakaami wadh-dhiraabi, wa butoonil-‘awdiyati, wa manaabitish-shajari.

Barish rokne ki dua in English :

O Allah, let it pass us and not fall upon us, but upon the hills and mountains, and the center of the valleys, and upon the forested lands.
Being a Muslim it is our belief that all the universe(Sun, Moon, Stars etc) is in control of Allah. All the weathers, cloud’s, winds are in His control. It is He Who gives the rain and stop the rain. There are many prayers which can be said for rain. There are prayers for rain, prayers for when it rain and prayers to stop the rain. There are times when we need rain and it is for our benefit at those times we pray for rain. But there are times when we don’t need rain and it is not good for us if it rains, at those times we pray that it should not rain on us.

We all know that rain is very important for life on earth but we also know that rain can bring destruction to the life on earth. On one side where we see benefits of rain like it raises trees and different kind of crops, on the other hand, we see disadvantages of rain like extensive rain bring floods. So we all should learn barish ki dua, dua for rain, barish rokne ki dua and we should always pray to Allah for the rain which brings good things for us and pray so that all the evils stay away from us.


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आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से वर्णित है कि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब बारिश को देखते थे तो फरमाते थे : ‘‘अल्लाहुम्मा सैयिबन नाफिअन’’ (ऐ अल्लाह, इसे लाभकारी बारिश बना)। इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1032) ने रिवायत किया है।
तथा अबू दाऊद (हदीस संख्या : 5099) की एक रिवायत के शब्द में है कि आप फरमाते थे : ‘‘अल्लाहुम्मा सैयिबन हनीअन’’ (ऐ अल्लाह, इसे सुखद बारिश बना)। इसे अल्बानी ने सही कहा है।
‘‘अस-सैयिब’’ उस बारिश को कहते हैं जो बहने वाली हो। और इस शब्द का मूल स्रोत है : साबा, यसूबो ; जब बारिश हो। अल्लाह तआला का कथन है :
﴿أو كصيبٍ من السماء﴾ [البقرة :19]
‘‘या आकाश से होनेवाली बारिश के समान।'' (सूरतुल बक़रा 2: 19).
उसका वज़न ‘‘अस-सौब’’ शब्द से ‘‘फैइल’’ है।
देखें : खत्ताबी की ‘‘मआलिमुस-सुनन’’ (4/146) .
तथा बारिश के सामने होना ताकि वइ मनुष्य के शरीर के कुछ हिस्से को लग जाए, मुस्तहब (ऐच्छिक) है। क्योंकि अनस रज़ियल्लाह अन्हु से प्रमाणित है कि उन्हों ने कहा : हम अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ थे कि हमें बारिश पहुँची। वह कहते हैं कि : तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपना कपड़ा हटा दिया यहाँ तकि कि आपके शरीर पर बारिश लग गई। तो हमने कहा : ऐ अल्लाह के पैगंबर, आप ने ऐसा क्यों कियाआप ने फरमाया : ''क्योंकि वह आपके पालनहार के पास से अभी अभी आई है।’’
इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 898) ने रिवायत किया है।
तथा जब बारिश सख्त हो जाती थी तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम यह दुआ करते थे : ‘‘अल्लाहुम्मा हवालैना वला अलैना, अल्लाहुम्मा अलल आकामि, वजि़्ज़राबि, व बुतूनिल अवदियह, व मनाबितिश्शजर’’ (ऐ अल्लाह, हमारे आसपास बारिश बरसा हमारे ऊपर नहीं, ऐ अल्लाह टीलों, पहाड़ियों, घाटियों के बीच में और पेड़ों के उगने के स्थानों में बरसा)। इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1014) ने रिवायत किया है।
रही बात बादल की गरज सुनने के समय दुआ की : तो अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रज़ियल्लाहु अन्हु से प्रमाणित है कि : ‘‘जब वह बादल की गरज सुनते थे तो बातचीत त्याग देते थे और कहते थे : ‘‘सुब्हानल्लज़ी युसब्बिहुर-रअ्दो बि-हम्दिहि वल-मलाइकतो मिन खीफतिहि‘‘ (पवित्रता है वह अस्तित्व जिसकी स्तुति व गुणगान के साथ बादल की गरज पवित्रता का वर्णन करती है और फरिश्ते भी उसके डर से।’’ (अर-रअद: 13), फिर वह कहते : यह पृथ्वी वालों के लिए कड़ी चेतावनी है।’’ इसे बुखारी ने ‘‘अल-अदबुल मुफ्रद’’ (हदीस संख्या : 723) और मालिक ने ''अल-मुवत्ता’’ (हदीस संख्या : 3641) में रिवायत किया है और नववी ने ‘‘अल-अज़कार’’ (हदीस संख्या : 235) में तथा अल्बानी ने ''सहीहो अदबिल मुफ्रद’’ (हदीस संख्या : 556) में इसकी इसनाद को सहीह करार दिया है।
इसके बारे में हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से मनसूब कोई बात नहीं जानते हैं।
इसी तरह, हमारे ज्ञान के अनुसार नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से बिजली देखने के समय कोई ज़िक्र या दुआ साबित नहीं है। और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
दूसरा :
बारिश के अवतरित होने का समय, अल्लाह की अपने बंदों पर दया और कृपा करने, और उनके ऊपर भलाई के कारणों का विस्तार करने का समय है, तथा उस समय दुआ के क़बूल किए जाना की संभावना है। सहल बिन सअद रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस में मरफूअन (जिसकी इसनाद नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तक पहुँचती हो) आया है कि : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ''दो (दुआएं) रद्द नहीं की जाती हैं : अज़ान के समय, और बारिश के नीचे दुआ करना।’’ इसे हाकिम ने ''अल-मुस्तदरक'' (हदीस संख्या : 2534) और तब्रानी ने ‘‘अल-मोजमुल कबीर’’ (हदीस संख्या : 5756) में रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीहुल जामि (हदीस संख्या :  3078) में सहीह कहा है।
अज़ान के समय दुआ से अभिप्राय : अज़ान के समय या उसके बाद दुआ करना है।
तथा बारिश के नीचे से अभिप्राय बारिश उतरने का समय है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है

Tuesday, 18 July 2017

DARGAH SHAREEF HAZRAT ABDUL WAHAB SAHIB NAGAUR-RAJASTHAN-INDIA



                            بسم الله الرحمان الرحیم 

    Sayed Shaikh Saifuddin Abdul Wahab was the eldest son of Hazrat Abdul Qadir Jilani (Allah's mercy be on him), born in 521 AH. He learned Fiqh and Hadis from his father and by the age of 21 he had become a teacher in his father’s Jamia. He was a very good orator and was respected by all. The Caliph of baghdad Nasiruddin Ahmed appointed him as a public relation officer (575 AH – 622 AH). This helped him to serve the poor and needy. He also issued Fatwas later on and became advisor to the royal household. He died on 25th Shawwal 593 AH and was buried at Jalba-Baghdad. His sons lived in Baghdad and were known for their piety and knowledge and continued to preach the mission of their grandfather, Hazrat Abdul Qadir Jilani (Allah's mercy be on him).



AASTANA-E- AALIYA OF HAZRAT ABDUL WAHAB JILANI (RA), THE ELDEST SON OF HAZRAT GAUS PAAK (RA), THIS DARGAH IS LOCATED IN NAGAUR ITLSELF FEW KILO METRES FROM HAZRAT KHWAJA HAMIDUDDIN (ra).




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Monday, 3 July 2017

TEZ ANDHI KE WAQT KI DUA HINDI ENGLISH URDU-

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ख्वाजा गरीब नवाज- मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेर

Urdu Shayri by Sahib Ahmedabadi

Sahib Ahmedabadi