1.
तुम में बेहतरीन वह है जिनके अख़लाक़ अच्छे हो.
तिरमिज़ी शरीफ़ – 5575
2.
जो खामोश रहा उसने नेजात पाई.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 2425
3.
जो रहम नहीं करता उस पर रहम नहीं किया जाता.
मुस्लिम शरीफ़
4.
जो लोगों का शुक्र अदा नहीं करता वह अल्लाह का भी शुक्र अदा नहीं करता.
अबूदाऊद शरीफ़ - 4177
5.
मुस्लमान को गाली देना गुनाह है और उससे जंग कुफ्र है.
बुख़ारी शरीफ़ - 46
6.
हर भलाई सदका है.
बुख़ारी शरीफ़ - 5562
7.
हया सरापा भलाई है.
मुस्लिम शरीफ़ - 54
8.
तुम में सबसे बेहतर सख्स वह है जो क़ुरान को सीखे और इस को सिखाए.
बुख़ारी शरीफ़ - 4639
9.
अमल का दारो-म-दार नियत पर है.
बुख़ारी शरीफ़
10.
फजर की दो रिकअत सुन्नत दुनिया-व-माफ़िहा से बेहतर है.
मुस्लिम शरीफ़ - 1193
11.
दुआ इबादत का मग्ज है.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 3293
12.
बेहतरीन तोशा तक़वा है.
बुख़ारी शरीफ़ - 1426
13.
सुनी हुई बात देखी हुई बात की तरह नहीं होती.
मुसनद-अहमद शरीफ़ - 1745
14.
मोमिन, मोमिन का आईना है.
अबूदाऊद शरीफ़ - 4272
15.
भलाई की राह बतलाने वाले को इतना ही सवाब मिलता है, जितना इस पर चलने वाले को मिलता है.
मुसनद-अहमद शरीफ़ - 21326
16.
आग से बचो. चाहे एक खजूर का टुकड़ा ही खैरात करके क्यों न हो.
बुख़ारी शरीफ़ - 1328
17.
रोज़ा ढाल है.
बुख़ारी शरीफ़ - 6938
18.
जो हम को धोखा दे वो हम में से नहीं है.
मुसनद-अहमद शरीफ़
19.
अच्छा गुमान रखना बेहतरीन इबादत है.
अबूदाऊद शरीफ़
20.
दुनिया मोमिन के लिए कैद खाना है और काफ़िर के लिए ज़न्नत है.
मुस्लिम शरीफ़ - 5256
21.
अज़ान और इक़ामत के दरमियान दुआ रद्द नहीं होती.
तिरमिज़ी शरीफ़
22.
जो चीज कम हो और काफ़ी हो वह इस ज्यादा चीज से बेहतर है, जो आदमी को अल्लाह की याद से गाफ़िल कर दे.
मुसनद-अहमद शरीफ़
23.
किसी मुसलमान के लिए यह जायज़ नहीं है कि वह अपने मुसलमान भाई के साथ तीन दिन से ज्यादा कताअ-तआल्लूकरखे.
मुस्लिम शरीफ़ - 4644
24.
आदमी का हश्र उस शख्स के साथ होगा, जिस इन्सान से उस को मोहब्बत होगी.
बुख़ारी शरीफ़ - 5702
25.
जिस से मशवराह लिया जाए, उसे अमानतदार होना चाहिए.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 2747
26.
असल तवंगरी दिल की तवंगरी है.
बुख़ारी शरीफ़ - 4956
27.
नेक-बख्त वह है, जो दूसरो से इबरत हासिल करे.
मुस्लिम शरीफ़ - 4783
28.
ऊपर वाला हाथ नीचे वाले हाथ से बेहतर है.
बुख़ारी शरीफ़ - 1338
29.
गुनाहों से तौबा करने वाला ऐसा है गोया के उस ने कोई गुनाह ही नहीं किया.
इब्ने मज़ह - 4240
30.
मजलिसों के लिए अमानतदारी जरुरी है.
अबूदाऊद शरीफ़
31.
मुस्लमान वह है जिस के हाथ व जुबान से दुसरे मुस्लमान महफूज़ रहे.
बुख़ारी शरीफ़ - 9
32.
जो नरमी से महरूम है वह हर भलाई से महरूम है.
मुस्लिम शरीफ़ - 4694
33.
जो शख्स अल्लाह के लिए एक मस्जिद बनाएगा अल्लाह उस के लिए ज़न्नत में उस जैसा महल बनाएगा.
मुस्लिम शरीफ़ - 229
34.
ज़ुल्म कयामत के दिन अंधेरों का सबब बनेगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 2267
35.
जो अपने को किसी गुनाह का आर दिलाता है, तो वह उस गुनाह को किए बगैर नहीं मरता.
तिरमिज़ी शरीफ़ - 2429
36.
रिश्ता को तोड़ने वाला ज़न्नत में दाखिल नहीं होगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 5525
37.
चुगली करने वाला ज़न्नत में दाखिल नहीं होगा.
मुस्लिम शरीफ़ - 151
38.
तुम में से कोई मोमिन नहीं हो सकता जबतक की वो अपने भाई के लिए वही चीज पसंद करे जो अपने लिए पसंद करता है.
बुख़ारी शरीफ़ - 12
39.
टखना के जितना निचे कपड़ा होगा उतना हिस्सा आग में होगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 5341
40.
जो शख्स दो ठंढे वक्त की नमाज़े फजर और असर पढ़ेगा तो वह ज़न्नत में दाखिल होगा.
बुख़ारी शरीफ़ - 540
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