Saturday, 21 April 2018

Farishtey ke bare me - Angels in Islam

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फ़रिश्तों का बयान

सवाल- फ़रिश्ते किसे कहते हैं?

जवाब- फ़रिश्ते लतीफ जिस्म रखते हैं नूर से पैदा किये गऐ हैं उनको अल्लाह तआला ने यह कुदरत दी है कि जो शक़्ल चाहें इख्तियार करले।

(तकमीलुल ईमान सफ़्हा 9)

सवाल- फ़रिश्ते मर्द हैं या औरत?

जवाब- न मर्द हैं न औरत।
(तकमीलुल ईमान सफ़्हा 9)

सवाल- क्या फ़रिशतों की पैदाइश आदमियों की तरह है?

जवाब- नहीं बल्कि फ़रिश्ते लफ्जे"कुन"से पैदा किये गऐ हैं।
(आलहिदायतुल मुबारकह सफ़्हा 4)

सवाल- फ़रिश्तों की तादाद कितनी है?

जवाब- सही तादाद तो अल्लाह व रसूल जानें अल्बत्ता हदीस शरीफ में है कि आसमान व ज़मीन में कोई एक बालिशत जगह खाली नहीं जहाँ फ़रिश्तों ने सजदे में पेशानी न रखी हो ज़मीन से सिदरतुल मुन्तहा तक पचास हजार साल की राह है उसके आगे मुस्तवी उसकी दूरी खुदा जाने,इससे आगे अरशे आज़म के सत्तर परदे हैं हर हिजाब(परदे)से दूसरे हिजाब तक पाँच सौ बरस का फासला है और उससे आगे अर्श इन तमाम वुसअतों(ख़ाली मकाम)में फ़रिश्ते भरे हैं।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 26/अलमलफूज जिल्द 4 सफ़्हा 9)

सवाल- सारी मख़लूकात में किस की तादात ज्यादा है?

जवाब- फ़रिश्तों की तादाद ज्यादा है हदीस शरीफ में है कि अगर सारी मख़लूकात को दस हिस्सो में तकसीम किया जाए तो नौ हिस्से फ़रिश्तों के हैं और एक हिस्सा सारी मख़लूकात का।
(तकमीलुल ईमान सफ़्हा 9/तफसीर जुमल जिल्द 4 सफ़्हा 534)

सवाल- क्या सब फ़रिश्ते एक ही बार में पैदा हो गऐ या उनकी पैदाइश का सिलसिला जारी है?

जवाब- पैदाइश का सिलसिला जारी है हदीस शरीफ में है कि अर्श की दाहनी तरफ नूर की एक नहर है सातों आसमान और सातों ज़मीन और सातों समुन्दरों के बराबर है इसमें हर सुबह हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम नहाते है जिससे उनके नूर पर नूर और जमाल पर जमाल बढ़ता है फिर जब आप पर झाड़ते हैं तो जो बूंद गिरती है तो अल्लाह तआला उस से उतने-उतने हजार फ़रिश्ते बनाता है दूसरी हदीस में है कि चौथे आसमान में एक नहर है जिसे नहरे हयात कहते हैं हजरत जिब्राईल हर रोज़ उसमें नहाकर पर झाड़ते हैं जिससे सत्तर हजार कतरे झड़ते हैं और अल्लाह तआला हर कतरे से एक-एक फ़रिश्ता पैदा करता है।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 26/अलहिदायतुल मुबारकाह सफ़्हा 9)

सवाल- क्या इसके इलावह कोई और भी सूरत है जिससे फ़रिशते पैदा होते हैं?
जवाब- हाँ एक फ़रिश्ता और है जिसका नाम रूह है यह फ़रिश्ता आसमान और ज़मीन और पहाड़ो से बड़ा है क़यामत के दिन तमाम फ़रिश्ते एक सफ़ में खड़े होंगे और यह फ़रिश्ता तन्हा एक सफ़ में खड़ा होगा तो इन सब के बराबर होगा यह फ़रिश्ता चौथे आसमान में हर रोज बारह हजार तसबीहें पढ़ता है और हर तसवीह से एक फ़रिश्ता बनता है,दुसरी हदीस शरीफ में है कि रूह एक फ़रिश्ता है जिसके सत्तर हजार सर हैं और हर सर में सत्तर हजार चहरे और हर चहरे में सत्तर हजार मूँह और हर मूँह में सत्तर हजार जुबानें और हर जुबान में सत्तर हजार लुगत यह उन सब लुगतों से अल्लाह तआला की तसबीह करता है और हर तसबीह से अल्लाह तआला एक फ़रिश्ता पैदा करता है(अल्लाहुअकबर)इसी तरह हदीस शरीफ में है कि हमारे आका हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम ने फरमाया जो मुझ पर मेरे हक़ की ताजीम के लिए दुरूद भेजे अल्लाह तआला उस दुरूद से एक फ़रिश्ता पैदा करता है जिसका एक पर पूरब और एक पशिचम में होता है अल्लाह तआला उस से फरमाता है दुरूद भेज मेरे बन्दे पर जैसे उसने मेरे नबी पर दुरूद भेजा पस वह फ़रिश्ता क़यामत तक उस पर दुरूद भेजता रहेगा इसी तरह नेक कलाम अच्छा काम फ़रिश्ता बनकर आसमान की तरफ़ बुलन्द होता है।
(ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 4 सफ़्हा 148वजिल्द 7 सफ़्हा 169/उम्दतुल क़ारी जिल्द 9 सफ़्हा

सवाल- क्या सारे फ़रिश्तों का मरतबा बराबर है?

जवाब- नहीं बल्कि उनमें भी इन्सानों की तरह अवाम और ख्वास हैं और ख्वास फ़रिश्ते रुतबे में आम फ़रिश्तों से अफ़ज़ल हैं।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 45व46)

सवाल- खास फ़रिश्ते कौन-कौन हैं?

जवाब- यह हैं,
हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम,
हजरत मीकाईल अलैहिस्सलाम,
हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम,
हजरत इजराईल अलैहिस्सलाम,
अर्श उठाने वाले, मुकर्रबीन, कर्रोबीन,रूहानिय्यीन।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 45)

सवाल- क्या इन खास फ़रिश्तों में भी कुछ को कुछ पर फ़ज़ीलत है?
जवाब- हाँ यह चार फ़रिश्ते हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम हजरत मीकाईल अलैहिस्सलाम हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम हजरत इजराईल अलैहिस्सलाम बाकी तमाम फ़रिश्तों से अफ़ज़ल हैं।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 45/तकमीलुल ईमान सफ़्हा 9)

सवाल- इन चार फ़रिश्तों में कौन अफ़ज़ल है?
जवाब- हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 45)

सवाल- इन्सान फ़रिश्तों से अफ़ज़ल है या फ़रिशते इन्सान से अफ़ज़ल हैं?
जवाब- जमहूर एहले सुन्नत के नज़दीक ख़ास इन्सान यानी नबी व रसूल खास फ़रिश्तों से अफ़ज़ल हैं और आम इन्सान यानी औलियाऐ किराम आम फ़रिश्तों से अफ़ज़ल हैं और ख़ास फ़रिश्ते आम इन्सानों से अफ़ज़ल हैं।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 45/तफसीर कबीर जिल्द 4 सफ़्हा 84)

सवाल- क्या फ़रिश्तों के पर होते हैं?
जवाब- हाँ दो-दो तीन-तीन चार-चार और बाज़ फ़रिश्तों के तो इससे भी ज्यादा होते हैं जैसे कि हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम के बारे में है कि आपके 600 पर हैं।
(तकमीलुल ईमान सफ़्हा 9)

सवाल- क्या फ़रिश्तों को लौहे महफूज का इल्म होता है?
जवाब- हाँ ख़ास फ़रिश्ते लौहे महफूज पर मुत्तलअ है और आम फ़रिशते अपने ख़ास के ज़रीऐ लौहे महफूज की कुछ बातों पर मुत्तलअ होते हैं।
(तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 307)

सवाल- क्या फ़रिश्ते अंबियाऐ किराम से ज्यादा इल्म रखते हैं?
जवाब- नहीं अंबियाऐ किराम उनसे ज्यादा इल्म रखते हैं,इल्म ही ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम को फ़रिश्तों से सजदा कराने का शर्फ बख्शा।
(ख़ाज़िन जिल्द 1 सफ़्हा 40व277)

सवाल- अल्लाह तआला ने फ़रिश्तों को किस कदर ताक़त व कुव्वत अता फरमाई है
जवाब- इसकी पूरी हकीक़त तो अल्लाह तआला जाने अलबत्ता एक रिवायत में है कि एक फ़रिश्ता दुनिया को हलाक करने के लिये काफी है।
(शरह शिफा जिल्द 1 सफ़्हा 735)

सवाल- क्या फ़रिश्ते भी हुजूर अकरम सल्ललाहो तआला अलैह वसल्लम की उम्मत हैं?
जवाब- हाँ उम्मा हैं आप उनकी तऱफ भी रसूल बनाकर भेजे गऐ।
(ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 165/सावी जिल्द 4 सफ़्हा 68)

सवाल- फ़रिश्तों ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम को किस दिन सज्दा किया?
जवाब- जुमे के दिन जवाल से लेकर असर तक।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 1 सफ़्हा 10)

सवाल- सबसे पहले किस फ़रिश्ते ने सज्दा किया?
जवाब- हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने फिर हजरत मीकाईल अलैहिस्सलाम फिर हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम ने फिर हजरत इजराईल अलैहिस्सलाम फिर मलाइका मुकर्रबीन ने।
(मवाहिब लदिन्नया जिल्द 1 सफ़्हा 10)

सवाल- क्या फ़रिश्तों के पीर होते हैं जिस तरह इन्सान और जिन्नात के लिए पीरो मुरशिद होते हैं?
जवाब- हाँ हुजूर गौसे आजम फरमाते हैं कि में आदमियों और जिन्नों और फ़रिश्तों सबका पीर हूंँ।
(बहजतुल असरार सफ़्हा 23/फ़तावा रिज़विया जिल्द 9 सफ़्हा 141)

सवाल- क्या फ़रिश्तों को देखना मुम्किन है?
जवाब- हाँ देखना मुम्किन है।
(फ़तावा हदीसीया सफ़्हा 145)

सवाल- क्या किसी ने देखा भी है?
जवाब- हाँ अंबियाऐ किराम सहाबऐ इज़ाम औलियाऐ किराम अपनी बेदारी में फ़रिश्तों को देखते हैं लेकिन उनकी असली सूरत में नहीं।
(ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 425/तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 143)

सवाल- हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम,हजरत मीकाईल अलैहिस्सलाम,हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम,हजरत इजराईल अलैहिस्सलाम का अस्ल नाम क्या है और कुन्नियत क्या है?
जवाब- हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम का अस्ल नाम अब्दुल्लाह है लेकिन इमाम सुहैली फरमाते है कि जिब्राईल सुरयानी जुबान का लफ्ज है जिसके माना अब्दुर्रहमान या अब्दुल अज़ीज़ के हैं एक कौल यह है कि अस्ल नाम अब्दुल जलील और कुन्नियत अबुलफ़तह है,
हजरत मीकाईल अलैहिस्सलाम का अस्ल नाम अब्दुर्रज़्ज़ाक और कुन्नियत अबुल ग़नाइम है,
हजरत इसराफील अलैहिस्सलाम का अस्ल नाम अब्दुल ख़ालिक और कुन्नियत अबुलमनाफिख है,
हजरत इजराईल अलैहिस्सलाम का अस्ल नाम अब्दुल जब्बार और कुन्नियत अबु यहया है।
(उम्दतुल क़ारी जिल्द 1 सफ़्हा 45व84)

YouTube// Alseen Al basheer

ख्वाजा गरीब नवाज- मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेर

Urdu Shayri by Sahib Ahmedabadi

Sahib Ahmedabadi