#UrsMubarak #MaulaAli
ज़हे इ’ज़्ज़-ओ-जलाल-ए-बू-तुराबी फ़ख़्र-ए-इंसानी
अली मुर्तज़ा मुश्किल-कुशा-ए-शेर-ए-यज़ादनी
(वाह-रे फ़ख़्र-ए-इंसानी हज़रत अबू तुराब का इ’ज़्ज़त-ओ-जलाल !
कि अ’ली मुर्तज़ा, मुश्किल-कुशा, शेर-ए-यज़्दाँ हैं )
वली-ए-हक़ वसी-ए-मुस्तफ़ा दरिया-ए-फ़ैज़ानी
इमाम-ए-दो-जहानी क़िब्लः-ए-दीनी-ओ-ईमानी
(अल्लाह पाक के वली, मुस्तफ़ा के वसी और फ़ैज़ान का एक दरिया हैं
जो दोनों जहान के इमाम और दीन-ओ-ईमान का क़िब्ला हैं )
'नियाज़' अंदर क़यामत बे-सर-ओ-सामाँ न-ख़्वाहद शुद
कि अज़ हुब्ब-ओ-तवल्ला-ए-अली दारी तु सामानी
(ऐ ‘नियाज़’! क़ियामत में तू बे-सर-ओ-सामान नहीं होगा
क्यूँ कि तू मोहब्बत-ओ-इ’श्क़-ए-अ’ली का सामान रखता है )
No comments:
Post a Comment